इमामहुसैनकी शहादत के 40वें दिनके मौके पर होती है “अरबैन वोक” जिसमें लाखों शिया समुदाय के लोग 80 किमी चल कर पहुँचते है नजफ से करबला
करबला, ईराक : पैगम्बरे इस्लाम हजरत मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलयहे वसल्लम) के नवासे हजरत इमाम हुसैन (अलयहिस्सलाम) ओर उनके साथीयों की शहादत के 40 वें दिन ईराक के नजफ से करबला तक 80 किलोमीटर के रास्ते पर शिया समुदाय के लाखों लोग हर साल चल कर पहुंचते है जिसे “अरबैन वोक” के नाम से जाना जाता है। इस साल भी लाखों लोगों का हुजुम वहाँ पर मौजूद है। इस यात्रा में चलनेवालें यात्रियों के लिये पूरे रास्ते पर वोल्युनटरी लोग खाने-पीने के बढिया इंन्तेजाम करते है ओर ढेर सारी सहुलते भी हजरत इमाम हुसैन के नाम पर यात्रियों को प्रदान करते है।

भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने भी इस साल इराक के नजफ में स्थित हजरत अली(कर्रमल्लाहु वजह्हु) के रोजे की ओर करबला में हजरत इमाम हुसैन की दरगाह की जियारत की। तुषार गाँधी ने अपने सोशल नेटवर्क पर साउथ आफ्रिका के राष्ट्रपिता नेलशन मंडेला के पौत्र मंडला मंडेला के साथ तस्वीर साजा करते हुए लिखा कि “मेंने ईराक में करबला ओर नजफ का दौरा किया और अरबैन यात्राका गवाह बना। मेंने देखा कि लोग अविश्वसनीय रूप से हजारों की तादाद में पैदल चल रहे है ओर उनके लिय़े स्वैच्छिक तौर पर इतनी अच्छी व्यवस्थाएँ की गई। मेंने हजरत अली ओर इमाम हुसैन की दरगाहों का भी दौरा किया। 2 विरासतें एक साथ, मंडेला के पोते ओर बा-बापु के परपौते।”
